एनआईसी ने नेहरू के पेज में फेरबदल करनेवालों की नहीं दी जानकारी

नई दिल्ली। क्या पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विकिपीडिया पेज में फेरबदल करने के लिए नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) का इस्तेमाल हुआ और उनके बारे में बदनाम करने वाली सूचनाएं डाली गईं? किसने यह काम किया?

सरकार की सॉफ्टवेयर की समस्याओं का निदान करने वाले एनआईसी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए इन सवालों का जवाब देने से इन्कार कर दिया है। उसका कहना है कि ऐसा करने से सुरक्षा को लेकर उलझाव पैदा होगा। एनआईसी ने जवाब में आरटीआई कानून में वर्णित छूट के प्रावधानों का उल्लेख भी नहीं किया है, जबकि इसका उल्लेख करना जरूरी है।

एनआईसी कहना है कि उसका यह जवाब कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम(सीईआरटी)-इन की सूचना पर आधारित है। मुख्य जन सूचना अधिकारी स्वरूप दत्त ने आरटीआई के जवाब में कहा है कि सीईआरटी-इन की जानकारी के आधार पर यह पाया गया है कि इसकी सूचना साझा करने पर सुरक्षा को लेकर उलझाव पैदा हो सकता है। इसलिए उसे साझा नहीं किया जा सकता।

आवेदन में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से आईपी एड्रेस 164.100.41.28 का ब्योरा मांगा गया था जिसका इस्तेमाल भारत के प्रधानमंत्रियों के विकिपीडिया पेज में बदलाव करने के लिए किया गया। इनमें नेहरू के बारे में दुर्भावना पूर्ण सूचनाएं डाली गई हैं। उन अधिकारियों नाम भी पूछा गया था कि जिन्होंने विकिपीडिया पेज को संपादित करते समय आईपी एड्रेस का इस्तेमाल किया। आवेदनकर्ता ने यह भी पूछा था कि इस मामले में क्या कोई जांच शुरू की गई है?

हाल में दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि इस घटना की जांच और इसे संपादित करने वालों का पता लगाने के लिए कार्रवाई शुरू की गई है। विकिपीडिया पेज में बदलाव की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने इसे घटिया, अलोकतांत्रिक एवं निम्न स्तरीय युक्ति करार देते हुए मामले की पूरी जांच कराने की मांग की है और आपराधिक मामला दर्ज कराया है।

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