RTI लगाने वालो के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं RTI के नए बदलाव!

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साभार: गूगल 
नन्दलाल व्यास (अध्यक्ष, जाग्रति सेवा संसथान ) । 
केंद्र की बीजेपी सरकार ने सूचना के अधिकार कानन (आरटीआई) में कुछ बदलाव प्रस्तावित  किए है।  RTI लगाने वालो  के   लिए ये  जानलेवा साबित हो सकते है। क्योंकि इन नए बदलावों के अनुसार अगर किसी RTI आवेदनकर्ता ने किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सूचना मांगी जो किसी गलत काम में लिप्त है तो हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति द्वारा उस RTI लगाने वाले  की हत्या करवा दी जाए। इन नए बदलावों के बाद आवेदनकर्ताओं को अपनी जान देने का जोखिम उठाना पड़ेगा।

केंद्र की बीजेपी सरकार ने सूचना का अधिकार -2005 के नियमो में कुछ बदलाव प्रस्तावित किए हैं। आरटीआई नियम 2017 में सरकार ने 12 वें नियम के क्लॉज दो में लिखा है कि आयोग के समक्ष लंबित प्रक्रिया को याचिकाकर्ता के निधन के बाद खत्म कर दिया जाएगा।

सरकार के इस प्रस्ताव को सूचना के अधिकार का उपयोग करने वालों के लिए जानलेवा प्रस्ताव मा नना पड़ेगा । इससे पहले आरटीआई कानून के तहत मांगी गई सूचनाओं के मिलने से पहले अगर RtI आवेदनकर्ता की मौत हो जाती थी तो उसकी मांगी गई सूचना को बेबसाईट पर अपलोड कर दिया जाता था।

लेकिन  अब इस बदलाव के बाद अगर आवेदनकर्ता की मौत सूचना मिलने से पहले ही हो जाती है तो उसके द्वारा मांगी गई सूचना और इस प्रक्रिया को वहीं पर समाप्त कर दिया जाएगा।
ऐसे में   हो सकता है कि आवेदनकर्ता की हत्या  ही कर दी जाए ताकि उसके द्वारा मांगी गयी सुचना सार्वजनिक ही नही हो सके ।इस लिए इसे  खतरनाक बताया गया है।  इस मुद्दे पर पहले सरकार और अन्य सामाजिक संस्थाओं के बीच बात हो चुकी है। बीते साल पूरे देश भर में 56 आरटीआई कार्यकर्ताओं की मौत हो चुकी है। जिसमें 51 हत्या और 5 आत्महत्या शामिल है।
 इस दौरान 130 आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले भी हुए हैं।
वहीं 12वें नियम के ही क्लॉज 1 में लिखा है कि कोई आवेदनकर्ता चाहे तो अपनी अपील सीआईसी को लिखित में देकर वापस ले सकता है। अगर याचिका पर कोई फैसला सुना दिया गया तो उसके बाद कोई भी अपील स्वीकार नहीं की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि 2017 में प्रस्तावित बदलाव में फोटो कॉपी का शुल्क दुगना करना, आरटीआई अर्जी के 500 से अधिक शब्दों में होने पर अधिकारियों को इसे खारिज करने का अधिकार देना भी शामिल किया गया है। जो जनता के हित में नहीं है।

मोदी सरकार RTI में जो बदलाव करने जा रही है वो बेहद खतरनाक है जिसके वजह से अब सूचना पाना बेहद मुश्किल कार्य हो जायेगा और सुचना मांगने वाले की हत्या होने की सम्भावनाये  बढ़ सकती है । सरकार RTI आवेदन के फीस में भी बढ़ोतरी करने का निर्णय लेनेवाली है जिससे कि आम आदमी को सूचना लेने में परेशानी होगी . साथ ही जो अन्य संशोधन की बात चल रही है उसमें   सूचना देने की अवधि को खत्म किया जा सकता है ।
सूचना मांगने की शब्द सीमा 500 शब्द  तक निरधारित करना भी   rti कानून को कमजोर करने का कुत्सित प्रयास  है ।
एक अन्य संशोधन में संबंधित  सरकारी कर्मी को  ये अधिकार होगा कि वो अपने हिसाब से सूचना को संशोधित कर सकता है ।
कुल मिलाकर देखा जाय तो ये RTI को समाप्त करने की कवायद शुरू हो गई है सरकर अपनी विफलता को छुपाना चाहती है .
  ऐसे में बड़ा प्रश्न ये है कि भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी शासन व्यवस्था चलाने की दंभ भरने वाले मोदी जी पहले ही लोकायुक्त और लोकपाल जैसी संस्था को खारिज कर चुके है और अब RTI को खत्म करके कैसी पारदर्शिता लाना चाहते हैं ...?

आरटीआई 2017 के नियम पढने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

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