मांगी 56 लाख का हिसाब तो दे दी कटनी के पर्चे

 खरगोन। निर्मल स्वच्छता अभियान और चुनाव मतदाता जागरूकता अभियान को लेकर प्रचार-प्रसार सामग्री में लाखों रुपए की अनियमितता हुई है। विभाग से जब इसमें खर्च किए गए 56 लाख रुपए का हिसाब मांगा तो यहां के नहीं, बल्कि कटनी में वितरित पर्चे बता दिए गए। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए।
इन्हीं मांगों को लेकर मंगलवार को आरटीआई कार्यकर्ता ने महिमाराम भार्गव ने कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ को कई दस्तावेज सौंपे। उल्लेखनीय है वर्ष 2013-14 में निर्मल भारत स्वच्छता अभियान और मतदाता जागरूकता अंतर्गत पर्चे और पोस्टर छपवाए जाने का प्रशासन ने दावा किया था। मामले की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर श्री भार्गव ने धरने पर बैठने की चुनौती दी है।
खरगोन से किया भुगतान
श्री भार्गव ने आशंका के आधार पर जिला पंचायत कार्यालय से सूचना के अधिकार में दस्तावेज मांगे तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। उन्होंने बताया कि विभाग ने उन्हें जिला जल एवं स्वच्छता मिशन कटनी के पर्चे अवलोकन के लिए दे दिए। बकायदा इन्हें प्रमाणित कर उपलब्ध कराया गया। उनका यह भी आरोप है कि मतदाता प्रचार-प्रसार के लिए चुनाव आयोग सामग्री उपलब्ध करवाता है। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर ये पर्चे तैयार करवा लिए गए।
इस पूरी प्रक्रिया में श्री भार्गव ने आरोप लगाया कि जिला पंचायत ने पंचायती राज मुद्रणालय (सहकारी) मर्यादित उज्जैन को यह भुगतान लगभग 56 लाख रुपए का हुआ है। स्थानीय विभाग द्वारा बिलों पर किसी भी वरिष्ठ जवाबदार अधिकारी की न मार्किंग है और न ही अधिकृत नोटशीट चलाई गई है।
उनका यह आरोप भी है कि उक्त भुगतान दर्शाता है कि सामान्य बाजार से भी अधिक मूल्य पर मुद्रण वसूला गया है। उनका कहना है कि फ्लैक्स में 5 हजार नग के 18 लाख 11 हजार 249, पैम्फ्लेट के 2 लाख 67 हजार नग के 20 लाख 56 हजार 110 तथा ब्रोशर के 2 लाख 10 हजार नग के 17 लाख 64 हजार रुपए का भुगतान आनन-फानन में किया गया। यहां तक कि आचार संहिता का भी कई जगह उल्लंघन किया गया। -निप्र
आरोप एक नजर में
-सहकारी मुद्रण संस्था के बावजूद वेट वसूला
-सामान्य बाजार से अधिक दर पर किया कार्य
-पैम्फ्लेट छपवाए ही नहीं गए
-बिलों पर भी नहीं है मार्किंग
* शिकायती आवेदन मिला है। दस्तावेजों का परीक्षण करवाकर उचित कार्रवाई की जाएगी। -मनोज खत्री, सीईओ, जिला पंचायत, खरगोन

1 comment:

  1. इस पर सफेदपशों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए तथा मंत्री पद से मुक्त कर देना चाहिए।ये जितने भी मंत्री तथा मुख्यमंत्री को जेल भी होनी चाहिएं,ये केंद्र के दिये गए धनको सुरा और सुंदरी तथा अपना निजी कार्यों में दिए धन को लगाते हैं ,तथा इस धन को आपस में पदाधिकारी मिलकर बांट लेते हैं।

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