जजों की नियुक्तियां आरटीआई दायरे से बाहर रखने की सिफारिश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्तियों में कोलेजियम को राह दिखाने वाले संशोधित प्रक्रिया पत्र (एमओपी) का मसौदा अनुमोदन के लिए प्रधान न्यायाधीश को सौंप दिया गया है। इसमें सरकार ने कोलेजियम के जरिये नियुक्तियां सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है।
प्रक्रिया पत्र के मसौदे से जुड़ी फाइल कानून मंत्रालय ने होली से एक दिन पहले प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर को भेज दी। अंतिम निर्णय लेने के लिए इसे अब सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के समक्ष रखा जाएगा। कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश के अलावा शीर्ष न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल हैं।
मसौदे के अनुमोदन के बाद कानून मंत्रालय का न्याय विभाग इसे लोगों के सुझावों के लिए प्रस्तुत करेगा। परिवर्तन के सुझाव आने पर कानून मंत्रालय इसे फिर से तैयार करेगा। प्रक्रिया पत्र के संशोधित मसौदे को हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता वाले एक अंतर मंत्रालीय दल ने मंजूरी दी है। इससे पहले इसे अंतिम मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया था।
कोलेजियम सिस्टम को ज्यादा पारदर्शी बनाने के उपायों पर फैसला सुनाते समय शीर्ष अदालत ने सरकार से राज्यों और हाई कोर्ट्स की सलाह से प्रक्रिया पत्र पर फिर से काम करने को कहा था।

मसौदे में प्रमुख सुझाव
  • सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में जजों की पदोन्नति के लिए सुझाव देने में केंद्र सरकार के स्तर पर अटार्नी जनरल और राज्यों के स्तर पर एडवोकेट जनरल का दखल होना चाहिए।
  • हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति में हाई कोर्ट के सभी जजों और संबंधित राज्यों के एडवोकेट जनरल अपने उम्मीदवारों के नाम सुझाने के लिए स्वतंत्र होंगे।
  • किसी जज की नियुक्ति या पदोन्नति में कोलेजियम की सिफारिश पर असहमति से कार्यपालिका को अनिवार्य रूप से अवगत कराया जाएगा।
  • सुप्रीम कोर्ट के अधिकतम तीन जजों की नियुक्ति बार से की जानी चाहिए।
  • नियुक्तियां आरटीआई के दायरे से बाहर होंगी क्योंकि फाइल नोटिंग और अन्य विवरण जानने के लिए आवेदनों की बाढ़ आने का अंदेशा।
  • हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद पर पदोन्नति के लिए पिछले पांच साल में दिए गए फैसलों को आधार बनाया जाएगा, साथ ही वरिष्ठता को भी ध्यान में रखा जाएगा।
  • हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश का पद तीन माह से ज्यादा रिक्त न रहे।
  • कोलेजियम के लिए एक स्थायी सचिवालय बनाया जाए।

  • साभार: नई दुनिया 


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